कुसुम की खेती कैसे की जाती है? : आईए जानते हैं कि कुसुम की खेती कब की जाती है
भारत एक विश्व में कुसुम की खेती करने में प्रमुख देश हैं | कुसुम एक तिलहनी फसल है | इसके बीजों से तेल निकाला जाता है | तेल का उपयोग खाने में व औषधि में प्रयोग किया जाता है | कुसुम की खेती एक रबि मौसम की फसल है |
तो किसान भाइयों आज के आर्टिकल में हम जानने वाले हैं कि कुसुम की खेती कैसे की जाती है? और कुसुम की खेती कब की जाती है के बारे मे पूरी जानकारी जानने वाले हैं |
कुसुम की खेती कैसे की जाती है? ( Kusum ki Kheti Kaise ki Jaati Hai? )
- कुसुम की खेती कैसे की जाती है? ( Kusum ki Kheti Kaise ki Jaati Hai? )
- कुसुम की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Safflower Cultivation )
- कुसुम की खेती के लिए उन्नतिशील प्रजातियां ( Progressive Varieties for Safflower Cultivation )
- कुसुम की बुवाई के लिए बीजदर ( Seed rate for Sowing Safflower )
- कुसुम की खेती कब की जाती हैं? (Kusum ki kheti kab ki Jaati hai?)
- कुसुम की खेती की बुवाई के लिए खाद की मात्रा
- कुसुम की खेती में निराई - गुड़ाई (Weeding in Safflower Cultivation)
- कुसुम की खेती में सिंचाई (Irrigation in Safflower Cultivation )
- कुसुम की खेती में लगने वाले रोग व कीट
- कुसुम की खेती की कटाई - मड़ाई
- कुसुम की खेती से उपज (Yield)
- निष्कर्ष (Conclusion)
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कुसुम की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Safflower Cultivation )
कुसुम की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह से तैयारी करके बीज की बुवाई करें | कुसुम के बीज का अच्छे से जमाव के लिए बुवाई के समय खेत में नमी होना अति आवश्यक है | उचित जल निकास वाली भूमि का चुनाव करें जिसका पी ए मान 6 से 8 के बीच में हो उसका चुनाव करना चाहिए |
कुसुम की खेती के लिए उन्नतिशील प्रजातियां ( Progressive Varieties for Safflower Cultivation )
कुसुम की यह अच्छी प्रजाति के. 65 है | जो 180 से 190 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इसमें तेल की मात्रा 30 से 35 प्रतिशत होती है | और इसकी औसत उपज 14 से 15 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती हैं |
2. कुसुम की प्रजाति मालवीय 305
कुसुम की यह भी प्रजाति बहुत अच्छी है | यह प्रजाति 160 दिन में पककर तैयार हो जाती है | इस प्रजाति में तेल की मात्रा 36 प्रतिशत होती है |
कुसुम की बुवाई के लिए बीजदर ( Seed rate for Sowing Safflower )
कुसुम की खेती कब की जाती हैं? (Kusum ki kheti kab ki Jaati hai?)
कुसुम की खेती की बुवाई के लिए खाद की मात्रा
कुसुम की खेती में निराई - गुड़ाई (Weeding in Safflower Cultivation)
कुसुम की खेती में सिंचाई (Irrigation in Safflower Cultivation )
कुसुम की खेती में लगने वाले रोग व कीट
उपचार : इस रोग की रोकथाम के लिए जिंक मैंगनीज कार्बोमेट 2 किलोग्राम अथवा जिनेब 75 प्रतिशत 2.5 किलोग्राम को 800-1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से 10-14 दिन के अन्तर पर 3-4 छिड़काव करें |
इस रोग में पत्तियों तथा फलों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बनते हैं | जिनमें गोल-गोल छल्ले केवल पत्तियों पर स्पष्ट दिखाई देते हैं | इसके उपचार के लिए निम्न में से किसी एक रसायन का उपयोग कर सकते हैं |
रोग की दवा | प्रतिशत | दवा की मात्रा |
---|---|---|
1.जिंक मैंगनीज कार्बोमेट | 75 प्रतिशत | 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर |
2.जीरम | 80 प्रतिशत | 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर |
3.जिनेब | 75 प्रतिशत | 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर |
4.जीरम | 27 प्रतिशत | 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर |
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