मत्स्य पालन क्या है समझाइए ? लाखों रुपए कैसे कमाएं
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मित्रों हमारे देश में दिन प्रतिदिन खाद्यान्न की समस्या बढ़ती जा रही है | लेकिन नवीनतम प्रजातियां एवं नई तकनीकी के बावजूद भी हमारी समस्याओं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं | यदि गांवों में अनुपयुक्त तालाब, पोखरे एवं अन्य जलाशय को उपयोग में लाया जाए तथा उनमें वैज्ञानिक ढंग से मत्स्य पालन किया जाए तो उपयुक्त खाद्यान्न समस्या के कुछ हद तक निपटा जा सकता हैं |
आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से की मत्स्य पालन क्या है समझाइए ? लाखों कैसे कमाएं matsya palan kya hai के बारे में पूरी जानकारी जानने वाले हैं |
मत्स्य पालन क्या है समझाइए ? लाखों रुपए कैसे कमाएं (matsya palan kya hai )
मत्स्य पालन, कृषि की तरह एक प्रकार की खेती है जो की पानी में किया जाता है | खेती की ही भांति मत्स्य पालन में भी अच्छी उत्पादन प्राप्त करने के लिए समय-समय पर कार्बनिक एवं अकार्बनिक उर्वरकों एवं देखभाल की जरूरत पड़ती है | मत्स्य पालन के लाभ, कहां और कैसे करना चाहिए इसका विवरण निम्नलिखित है :
मछली पालन के लाभ (benefits of fish farming in hindi)
- मछली एक अत्यधिक पौष्टिक एवं शीघ्र पचने वाला भोजन है |
- मछली पालन करके भारत देश को पौष्टिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है एवं कुपोषण की समस्या से निजात पाया जा सकता हैं |
- मछली पालन खाद्य सामग्री उत्पादन में भाग न लेने वाले जलाशयों से पौष्टिक भोजन मछली के रूप में उत्पादन करके उनके उत्पादन क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग किया जा सकता है |
- मछली पालन करके ग्रामीण लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधार जा सकता है |
मत्स्य पालन कैसे किया जाता हैं ?
मछली पालन तालाब, पोखरे एवं अन्य जलाशय में किया जाता है | जिस तालाब व पोखरे के बाहरी बन्धे मजबूत एवं बाढ़ स्तर से लगभग 1 मीटर ऊंची हो वहां किया जाता है | जिसमें वर्ष भर डेढ़ से 2 मीटर गहरा पानी हर मौसम में उपलब्ध हो | जो नाल अथवा नदी से सीधे ना मिलते हो एवं गन्दा पानी न आता हो | जिसमें जलीय घास और अवांछनीय मछलियां ना हो | जिसमें पानी के निकास एवं प्रवेश के रास्ते पर जाली लगी हो जिससे पाली जाने वाली मछली बाहर ना जा सके एवं अवांछनीय मछलियां तालाब में ना जा सके | भाईयों अब तालाबों एवं पोखरों के अलावा धान की खेती के साथ-साथ मछली पालन भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है |
मत्स्य पालन के लिए तालाब की तैयारी
1. जलीय घास की सफाई
क. हाथ के द्वारा
ख. रासायनिक विधि द्वारा
2. अवांछनीय मछलियों का निस्तारण
क. जल द्वारा
ख. तालाब का पानी सुखाकर
ग. मत्स्य जहर द्वारा
3. खाद का प्रयोग
क. चूना -200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष
ख. गोबर की खाद - 10 टन प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष
ग. अकार्बनिक खाद (एन पी के) - 740 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष
मत्स्य पालन के लिए पालने योग्य मछलियों का चयन
मत्स्य पालन के लिए अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित देसी एवं विदेशी मछलियों की प्रजातियां को अलग-अलग या एक साथ पाला जा सकता है |
मछलियों की देशी प्रजातियां | मछलियों की विदेशी प्रजातियां |
---|---|
भाकुर (कतला) | सिल्वर कार्प |
रोहू | ग्रास कार्प |
नैन | कामन कार्प |
अंगुलिकाओं का संचयन
मछली पालन में तालाब में मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन 5000 अंगुलकाए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से कर सकते हैं |
क. देशी मत्स्य बीज संचयन
भाकुर (कतला) | रोहू | नैन |
---|---|---|
2000 | 1500 | 15000 |
ख. देशी व विदेशी प्रजाति के मत्स्य बीज का संचयन
भाकुर | सिल्वर कार्प | रोहू | ग्रास कार्प | नैन | कामन कार्प |
---|---|---|---|---|---|
500 | 1000 | 1500 | 500 | 650 | 750 |
अंगुलिकाओं का संचय करने का समय
जुलाई - अगस्त माह में अंगुलिकाओं का संचयन करना चाहिए |
मत्स्य पालन करने में कितना खर्च आता हैं ?
मत्स्य पालन की अर्थव्यवस्था प्रति हेक्टेयर (अनुमानित):
अ. वार्षिक खर्चा-
क्रमांक | खर्चा | रुपए |
---|---|---|
1 | तालाब का किराया | 20,000 रुपए |
2 | मत्स्य अंगुलिका मूल्य तथा यातायात व्यय | 50,000 रुपए |
3 | उर्वरक एवं कृत्रिम भोजन | 25,000 रुपए |
4 | देख - रेख व्यय | 10,000 रुपए |
5 | मत्स्य निकासी | 5,000 रुपए |
कुल खर्चा | 1,10,000 रुपए |
ब. मत्स्य उत्पादन एवं प्रत्याशित आय :
उत्पादन - 3000 किलोग्राम
कुल आय/ रु. 100/- प्रति किलोग्राम = 3,00,000 रुपए
स. शुद्ध लाभ
3,00,000 रुपए - 1,10,000 रुपए = 1,90,000 रुपए
निष्कर्ष ( Conclusion)
तो भाईयों आपने जाना इस आर्टिकल के माध्यम से की मत्स्य पालन क्या है समझाइए ? लाखों रुपए कैसे कमाएं matsya palan kya hai के बारे में अगर यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को और किसानों में शेयर करें और अधिक जानकारी हेतु कमेंट अवश्य करें |
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