मेंथा में खरपतवारों का नियंत्रण | Mentha Mein Kharpatwar
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मेंथा एक औषधीय फसल है इसकी खेती भारतवर्ष में बड़े पैमाने पर की जाती है | मेंथा की खेती उत्तर प्रदेश के बाराबंकी रामपुर बदायूं कांसगंज बरेली मुरादाबाद संभल और लखनऊ आदि जिलों में बड़े पैमाने पर की जाती है | इस मेंथा की फसल में विभिन्न प्रकार के खरपतवार उगकर फसल को दिए गए पोषक तत्वों का शोषण करते हैं |
यह खरपतवार फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके उपज (तेल) को घटा देते हैं और मेंथा के तेल की गुणवत्ता में की कमी लाते हैं यह खरपतवार मेंथा की फसल की बढ़वार को भी रोकने का काम करते हैं | तो आज के इस ब्लॉग में मेंथा में खरपतवारों का नियंत्रण कैसे करें जमे हुए खरपतवारओं को किस दवा से कंट्रोल करें और खरपतवार को जमने से किस दवा से रोकें के बारे में बात करने वाली है |
मेंथा की फसल में खरपतवारों के प्रकार ( Types of Weeds in Mentha Crop )
मेंथा की फसल में दो प्रकार के खरपतवार उगते हैं -
1- चौड़ी पत्ती के खरपतवार ( Broad Leaf Weed )
2- सकरी पत्ती के खरपतवार ( Narrow Leaf Weed )
1- चौड़ी पत्ती के खरपतवार ( Broad Leaf Weed )
यह मेंथा की फसल में वह खरपतवार उगे हुए होते हैं | जिनकी पत्तियों चौड़ी व जड़ मूसलाधार नहीं होती हैं | यह आसानी से उखाड़ आते हैं | जैसे - बथूआ,खथूआ,कृष्णनील,तामखा, सत्यानाशी,हिरनखुरी, मकोय, जंगली पालक आदि खरपतवार उगते हैं |
2- सकरी पत्ती के खरपतवार ( Narrow Leaf Weed )
यह मेंथा की फसल में वह खरपतवार उगे हुए दिखाई देते हैं | जिनकी पत्तियों संकरी व जड़ मूसलाधार होती हैं | और यह आसानी से नहीं उखड़ते हैं उखाड़ने पर जड़ के साथ बहुत सारी मिट्टी भी अपने साथ लेकर आते हैं | जैसे - वट, मेंथा में उगा हुआ धान,मकड़ा,झारुआ,दूबघास,गुजघास और गेहूं का मामा, जंगली जाई आदि खरपतवार उगते हैं |
मेंथा में खरपतवारों का नियंत्रण (Control of Weeds in Mentha )
मेंथा में खरपतवारों को निम्नलिखित तरीकों से कन्ट्रोल किया जा सकता है-
(A) निराई-गुड़ाई ( Weeding Hoeing )
मेंथा की फसल में खरपतवारओं की रोकथाम के लिए निराई-गुड़ाई करना चाहिए | मेंथा की फसल में दो से तीन निराई गुड़ाई करना चाहिए जिससे हमारी मेंथा की फसल में खरपतवार नहीं हो | पहली निराई-गुड़ाई मेंथा की जड़ की बुवाई के एक महीने बाद या मेंथा के पौधे की रोपाई के 15-20 दिन बाद करना चाहिए | दूसरी निराई-गुड़ाई 35-40 दिन बाद तथा तीसरी निराई-गुड़ाई आवश्यकता नुसार करना चाहिए |
(B) मेंथा में रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण ( Weed Control by Chemicals in Mentha )
मेंथा की फसल में खरपतवारनाशक दवाओं का प्रयोग दो तरीके से किया जा सकता है-
1-Pre Emergence Herbicides
यह वह खरपतवारनाशी होते हैं | जिन्हें खरपतवारओं के मेंथा की फसल में उगने से पहले लगाया जाता है | जैसे- पेन्डामेथीलिन 30% EC-1 लीटर प्रति एकड़ की दर से इस दवा को मेंथा के पौधे की रोपाई या जड़ की बुवाई के दो से तीन दिन बाद स्प्रे कर सकते हैं | या मेंथा की जड़ बुवाई के तुरंत बाद प्रयोग करके हल्की सिंचाई कर सकते हैं |
ब्रांड नाम- Stomp (Basf),Dhanutop ( Dhanuka) आदि |
2-Post Emergence Herbicides
यह वह खरपतवारनाशी होते हैं | जिन्हें खरपतवारओं के मेंथा की फसल में उगने के बाद लगाया जाता हैं जैसे -
1-क्विज़लोफ़ॉप इथाइल 5% ईसी (Quizlofop Ethyl 5% EC) मात्रा- 300-400ml/एकड़ के हिसाब से 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं | इस खरपतवारनाशी से मेंथा की फसल में उगे हुए सकरी पत्ती के खरपतवार ही खत्म होते हैं | जैसे-मकड़ा,झारुआ,दूबघास,गुजघास,गेहूं का मामा और मेंथा में उगा हुआ धान आदि खरपतवार | यह दवा प्रयोग करते समय यह ध्यान रखें कि खेत में नमी हो और साफ पानी का प्रयोग स्प्रे में करें | खरपतवारओं की अवस्था 3-5 पत्ती की हो तो इस खरपतवारनाशी का प्रयोग करें |
ब्रांड नाम-टरगा सुपर (धानुका),हकामा (IIL) आदि |
2-प्रोपेक्विजाफॉप 10% ईसी ( Propquizafop 10% EC )
मात्रा-250-300ml/एकड़ इस दवा को भी 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं |
ब्रांड नाम- एंजिल (आदामा)
अधिक जानकारी हेतु यह वीडियो देखें-
FAQ
1.Q.- मेंथा में कौनसी खाद डालनी चाहिए ?
Ans-मेंथा की फसल से अच्छी तेल की पैदावार लेने के लिए 100-120kg यूरिया 50-60kg डीएपी 30-40kg पोटाश और 5-10kg सल्फर का प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें |
2.Q.- मेंथा में घास मारने की दवा कौनसी है ?
Ans- मेंथा में उगे हुए खरपतवारों को खत्म करने की दवा - टरगा सुपर (धानुका) 300-400ml/एकड़ और एंजिल (आदामा ) 250-300ml/एकड़ हैं |
3.Q.- खरपतवार को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?
Ans- खरपतवारओं के नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी दवाओं का प्रयोग और निराई-गुड़ाई के मध्य से नियंत्रण करना चाहिए |
निष्कर्ष( Conclusion )
तो किसान भाइयों इस लेख के मध्यम से आप समझ गए होंगे |कि किस तरह से हम अपनी मेंथा में खरपतवारों का नियंत्रण कर सकते हैं | अगर यह आर्टिकल के अलावा अधिक जानकारी चाहिए तो कमेंट करें और आर्टिकल अच्छा लगा हो तो और किसानों में शेयर करें | धन्यवाद
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