आलू में पोटाश कब-कब डालें | Aalu Mein Potash Ke Fayde

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आलू एक कन्द वर्गीय फसल हैं और इसे सब्जियों का राजा कहा जाता है इसकी खेती हमारे देश में उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, गुजरात,आसाम और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है |

परन्तु आलू की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए संतुलित मात्रा में आलू की फसल को खादों को देना अति आवश्यक होता है | संतुलित मात्रा में खाद आलू की फसल को देने के लिए 17 पौषक तत्वों की आवश्यकता होती है उनमें से पौधे अपना भोजन मुख्यतया पत्तियों के हरे भाग (पर्णहरित) की सहायता से वायु से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) व भूमि से पानी (H2O) लेकर कार्बोहाइड्रेट के रूप में तैयार करते हैं |

वह आवश्यक तत्व जिनकी अधिक मात्रा में आवश्यकता होती हैं वह हवा और पानी से पौधों को तीन तत्व 1-कार्बन (C) 2-हाईड्रोजन (H) 3-आक्सीजन (O) मिलते हैं और भूमि से मिलने वाले पौषक तत्व नाइट्रोजन (N) फास्फोरस (P) पोटैशियम (K) कैल्शियम (Ca) मैग्नीशियम (Mg) गंधक (S) इन पौषक तत्वों की पौधों को बहुत अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है | 

हमारी फसलों के पौधों को बहुत कम मात्रा में भूमि से पौषक तत्वों की आवश्यकता होती हैं वह हैं जैसे-लोहा ( Fe) मैग्नीज (MN) तॉबा (Cu)  जस्ता (Zn) बोरोन (B) मोलिब्डेनम (Mo) क्लोरीन ( Cl) कोबाल्ट (Co)|तो यह पौषक तत्व जब आलू की फसल में संतुलित मात्रा में डाल देते हैं तो हमारी आलू की फसल अच्छे से बढ़वार, विकास के साथ पैदावार भी अधिक देती हैं |

तो आज हम इस ब्लॉग में आलू की फसल के लिए पोटाश पौषक तत्व के फायदे और कब-कब आलू की किस-किस अवस्था पर प्रयोग करें के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है |

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आलू में पोटाश के फायदे (Benefits of Potash in Potato)-Aalu Mein Potash Ke Fayde


1-आलू में पोटाश का प्रयोग करने से आलू के कन्दों में चमक आती है |
2-आलू में पोटाश का उपयोग करने से आलू के कन्दों को आकार बढ़ाने में और गुणवत्ता में बृद्धि बढ़ाने में सहायक होता हैं |
3-आलू में पोटाश का प्रयोग करने से आलू व अन्य सब्जियां के स्वाद में बृद्धि करता है और आलू के पकने के गुण (Cooking Quality) को किसी सीमा तक सुधारता है |
4-फसल को गिरने से रोकता है तथा भूमि व जलवायु की प्रतिकूल दशाओं में फसलों के अंदर रोधकता बढ़ाता है और जड़ों को मजबूत बनाता है |
5-आलू की फसल में बीमारी व कीटो-पतंगों के आक्रमण के प्रति रोधकता (Resistance) बढ़ाता है |
6-आलू में पोटाश कन्दों की संख्या बढ़ाने में भी सहायक होता हैं |
7-पोटाश की कमी के कारण आलू की फसल में कन्दों का आकार छोटा रह जाता है और उनका वजन हल्का रह जाता हैं |
8-पोटाश पौधों की पत्तियों की कार्य क्षमता को बढ़ाता है | कार्बन डाइऑक्साइड का संश्लेषण होने से पौधों में पर्णहरित (Chlorophy) नाम का हरा पदार्थ पर्याप्त मात्रा में बनता है |

कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण होने लगता है | पत्तियां तथा अन्य हरे भागों में संश्लेषित स्टार्च तथा शर्करा पदार्थों को उनके संग्रहित होने के स्थान जड़ों तक सुचारू रूप से पहुंचाने में पोटाश सहायक होता है |

How to Apply Potash in Potato Crop (आलू की फसल में पोटाश का प्रयोग कैसे करें ) या

आलू की फसल में पोटाश कब-कब डालें -


आलू में पोटाश की प्रयोग की बात करें तो आलू में पोटाश दो बार प्रयोग कर सकते हैं | पहली बार बुवाई के समय 80-100kg प्रति एकड़ और दूसरी बार आलू की खड़ी फसल में आलू की अवस्था 75-80 दिन की हो उस समय स्प्रे के रूप में घुलनशील Npk 0:0:50 पोटाश का प्रयोग 1.5-2kg प्रति एकड़ के हिसाब से 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं |


अधिक जानकारी के लिए यह नीचे वीडियो देखें






FAQ-

1-Q.- आलु में पोटाश कब डालना चाहिए ?

Ans.- आलू की फसल में पोटाश दो बार प्रयोग कर सकते हैं पहली बार बुवाई के समय और दूसरी बार स्प्रे में आलू की अवस्था 75-80 दिन पर कर सकते हैं |

2-Q.- आलू के लिए कौनसी खाद अच्छी होती है ?

Ans.-आलू की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए संतुलित मात्रा में खादों का प्रयोग करना चाहिए | उसके लिए 10-12 टन गोबर की सड़ी हुई खाद बुवाई से पहले डालें और आलू की फसल को 100-120kg नाइट्रोजन, फास्फोरस 120-140kg और पोटाश 80-100kg प्रति एकड़ के साथ फोरेट 10kg, और जिंक सल्फेट 10kg प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है |

3-Q.- आलू में पोटेशियम कितना डालें ?

Ans.-आलू की फसल में पोटाश बुवाई के समय 80-100kg प्रति एकड़ डालना चाहिए |


निष्कर्ष (Conclusion)


तो किसान भाइयों आप इस लेख के माध्यम से समझ गये होगें कि आलू में पोटेशियम कब-कब डालें और अगर यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो और किसानों को शेयर करें और अधिक जानकारी हेतु कमेंट अवश्य करें |



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